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अधिकांश सीटों पर राजद की निगाहें, सहयोगी दलों को मनाना आसान नहीं

सत्य खबर/नई दिल्ली:

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन से जेडीयू के बाहर निकलने के बाद लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद राज्य की ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की कोशिश में जुट गई है. नीतीश कुमार के गठबंधन छोड़ने के बाद महागठबंधन का सीट शेयरिंग फॉर्मूला पूरी तरह से बदल गया है. राजद ने राज्य की 28 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फॉर्मूला तैयार कर लिया है. हालांकि, कांग्रेस और वाम दलों ने अब अधिक सीटों की मांग को लेकर राजद पर दबाव बना रखा है. कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो जाए. हालांकि, राजद के लिए सभी दलों को संतुष्ट करना काफी मुश्किल माना जा रहा है. सभी दलों के नेताओं द्वारा अधिक से अधिक सीटों की मांग के बाद महागठबंधन में खींचतान की स्थिति बनी हुई है.

राजद अब अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है

जदयू के महागठबंधन में शामिल होने के दौरान जदयू और राजद के बीच 16-16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फॉर्मूला तैयार हुआ था. हालाँकि, उस समय भी कांग्रेस 9-10 सीटों की मांग कर रही थी जबकि सीपीआई (एमएल) भी अधिक सीटों की मांग पर अड़ी हुई थी। हालांकि, नीतीश कुमार के जाने के बाद राज्य की राजनीतिक स्थिति पूरी तरह से बदल गई है.
नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के परिणामस्वरूप राजद ने राज्य में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। राज्य में बदले राजनीतिक हालात के बीच राजद ने राज्य की 27 से 28 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है.

सहयोगियों को मनाना आसान नहीं है

कांग्रेस की ओर से बढ़ती सीटों की मांग के बाद राजद नेतृत्व कांग्रेस को 8 से 9 सीटें दे सकता है. वाम दलों को तीन से चार सीटें देने की तैयारी है. हालांकि, देखने वाली बात ये होगी कि क्या कांग्रेस और वाम दल राजद द्वारा तैयार किए गए इस फॉर्मूले पर सहमत होते हैं या नहीं.
सीपीआई (एमएल) नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने हाल ही में वाम दलों को अधिक सीटें देने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि 12 विधानसभा सीटों पर लेफ्ट की जीत के बावजूद राज्यसभा चुनाव में लेफ्ट को नजरअंदाज किया गया है. ऐसे में इसकी भरपाई लोकसभा चुनाव के दौरान की जानी चाहिए.
सीटों को लेकर चल रही खींचतान का ही नतीजा है कि महागठबंधन में शामिल दलों के नेता सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. विभिन्न दलों के नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे के फॉर्मूले को शीर्ष नेतृत्व सहयोगियों के साथ बातचीत में अंतिम रूप देगा.

करारी हार के बाद इस बार राजद सतर्क

पिछले लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद इस बार राजद नेतृत्व काफी सतर्क नजर आ रहा है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद राजद नेता जदयू से बदला लेने की कोशिश में हैं। इसलिए विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी की जा रही है.
राजद नेताओं का कहना है कि जल्द ही सहयोगी दलों के साथ बातचीत कर सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. कांग्रेस और लेफ्ट के नेताओं की ओर से भी यही बयान दिया जा रहा है, लेकिन सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर सभी को सहमत कराना आसान साबित नहीं होगा. .

मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी

विधानसभा में नीतीश सरकार के विश्वास मत के दौरान राजद को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उसके तीन विधायकों ने पाला बदल लिया और नीतीश सरकार का समर्थन कर दिया. ऐसे में विधानसभा में राजद सदस्यों की संख्या 79 से घटकर 76 हो गई है. अब राजद नीतीश कुमार से बदला लेने के लिए विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार उतारने की कोशिश कर रही है.
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इस संबंध में राजद नेता लगातार मंथन कर रहे हैं. महागठबंधन में सीट बंटवारे के बाद राजद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ और ठोस रणनीति अपना सकती है.

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